/* remove this */
Showing posts with label Doctor. Show all posts
Showing posts with label Doctor. Show all posts

Sunday, December 4, 2011

सूचना का अधिकार अधिनियम - सूचना छिपाई, तो खुद भरेंगे जुर्माना

 (Right to Information Act - If information concealed, Pay the penalty)


संबंधित कर्मचारी ही भरेगा आर्थिक दंड
इलाहाबाद : सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी मुहैया न कराने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की जेब हल्की होना तय है। ऐसा बिल्कुल नहीं चलेगा कि गलती कोई करे और उसका खमियाजा अकेले जन सूचना अधिकारी भुगते। जो कर्मचारी सूचना उपलब्ध नहीं कराएंगे, उनसे ही आर्थिक दंड की राशि वसूल की जाएगी।
आरटीआइ के तहत विभिन्न विभागों के स्तर पर सूचनाएं मुहैया नहीं होने पर संबंधित व्यक्ति को राज्य सूचना आयोग में अपील करनी पड़ती है। सुनवाई के पश्चात आयोग सूचना मुहैया कराने का आदेश देता है। बावजूद इसके समय सीमा के भीतर सूचनाएं मुहैया नहीं कराई जाती हैं। नतीजा, आयोग जन सूचना अधिकारी के विरुद्ध आर्थिक दंड/जुर्माना लगा देता है। ऐसी स्थिति में संबंधित विभाग की छवि भी खराब होती है। चुनाव नजदीक हैं और सरकार अपनी छवि कतई खराब करने के मूड में नहीं है। शासन की इस मंशा के मद्देनजर खाद्य एवं रसद विभाग ने निर्देश जारी कर चेतावनी दी है कि सूचना के विलंब से अथवा नहीं उपलब्ध कराए जाने की स्थिति में यदि राज्य सूचना आयोग प्रतिकूल दृष्टिकोण अख्तियार करता है, तो इसके लिए संबंधित अधिकारी-कर्मचारी को ही जिम्मेदार माना जाएगा। यदि आयोग आर्थिक दंड/जुर्माना लगाता है, तो उसकी वसूली भी संबंधित उत्तरदायी कर्मचारी से ही होगी, जिसने सूचना विलंब से मुहैया कराई या सूचना नहीं दी।
इनसेट -----------------
क्यों नहीं डरते अधिकारी-कर्मचारी
असल में आरटीआइ कानून में जन सूचना अधिकारी के अलावा किसी और पर दंड का प्रावधान ही नहीं है। प्रथम अपीलीय अधिकारियों पर इसी वजह से उपेक्षा का भाव रहता है। समय पर सूचना न दिला पाने वाले जन सूचना अधिकारी पर 250 रुपये प्रतिदिन और अधिकतम 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है
--------------------------
प्रावधान और भी हैं
- सूचना का अधिकार कानून की धारा 19 में किसी व्यक्ति को हर्जाना दिलाने का अधिकार सूचना आयोग के पास है। हर्जाने के साथ फाइल में जिम्मेदारी तय करते हुए नोटिंग होने से अब प्रथम अपीलीय अधिकारी पर कानून के शिकंजे से डरने लगे हैं। मुख्य सचिव भी इस बाबत आदेश जारी कर चुके हैं। इसके बाद प्रथम अपीलीय अधिकारियों द्वारा सुनवाई न करना अनुशासनहीनता के दायरे में आ गया है
- जन सूचना अधिकारी से सूचना न मिलने पर यदि आप प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास नहीं जाना चाहते, तो आरटीआइ कानून की धारा 18 के तहत सीधे सूचना आयोग में शिकायत की जा सकती है
News : Jagran ( 3.12.11)
Read more...

Tuesday, November 22, 2011

Recruitment of 904 Doctors in Rajasthan in 2-3 days

904 डॉक्टरों की भर्ती दो-तीन दिन में ( Recruitment of 904 Doctors in Rajasthan in 2-3 days)


जयपुर। प्रदेश के अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों के खाली पड़े पदों को जल्द भर दिया जाएगा। दो-तीन दिन में 904 डॉक्टरों की भर्ती हो जाएगी। सभी जिलों से पदों की जानकारी मांगी गई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की कमी के साथ-साथ विभाग की विभिन्न योजनाओं में कितना काम हुआ है कितना बाकी है, इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री ए.ए. खान (दुर्रू मियां) ने मंत्रिपरिषद फेरबदल के बाद पहली बार सोमवार को विभागीय अधिकारियों से चर्चा की। पिछले दिनों मंत्रिपरिषद की बैठक में विभाग की योजनाओं में खामियों को लेकर चिकित्सा मंत्री पर विभिन्न मंत्रियों ने गुस्सा जाहिर किया था। इसके बाद ही दुर्रू मियां ने अफसरों को चुस्त-दुरूस्त करने की तैयारी की है।

डॉक्टरों की भर्ती के लिए उन्होंने मेडिकल यूनिवर्सिटी के जरिए अगले दो-तीन दिन में 904 डॉक्टरों को पदस्थापित करने के निर्देश दिए। साथ ही डॉक्टरों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए पूरी जानकारी मांगी


सचिवालय में सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चिकित्सा मंत्री ने सभी संभागीय आयुक्तों, जिला कलेक्टर, सीएमएचओ, मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसीपल, अस्पताल अधीक्षक, पीएमओ आदि से मुफ्त दवा वितरण योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना आदि योजनाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने साफ कहा कि विभागीय योजनाओं में किसी तरह की कोताही बरती नहीं जाएगी। योजनाओं की प्रगति में धीमी रफ्तार पर मंत्री ने कुछ अधिकारियों को फटकार भी लगाई। अब पाक्षिक ऎसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी।

पेंशनर्स के लिए कॉम्बिनेशन ड्रग्स

प्रमुख चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव बीएन शर्मा ने इस दौरान अधिकारियों को कहा कि पेंशनर्स की सुविधा के लिए आवश्यक कॉम्बिनेशन ड्रग्स की खरीद करें। सभी पेंशनर्स की डायरी में ही समस्त दवाइयां लिखने तथा सहकारी उपभोक्ता भंडार से ही सभी दवाइयों की व्यवस्था कराने के निर्देश दिए।

हाईकोर्ट का नोटिस

जयपुर। हाईकोर्ट ने चिकित्सा अधिकारी सीधी भर्ती परीक्षा-2011 को लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशक राजस्थान तथा परीक्षा समन्वयक से जवाब-तलब किया है कि उन्होंने परीक्षा में निर्घारित योग्यता नहीं रखने वाले अभ्यर्थियों को कैसे शामिल कर लिया? मामले में अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी। न्यायाधीश मनीष्ा भंडारी ने यह अंतरिम आदेश डॉ. लक्ष्मण सिंह की याचिका पर दिए। राजस्थान मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से 25 सितंबर, 2011 को चिकित्सा अधिकारियों के 904 पदों पर सीधी भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था।

विज्ञापन के अनुसार भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदक के पास परीक्षा की तारीख तक एमबीबीएस की डिग्री होने के साथ ही राजस्थान मेडिकल कौंसिल में रजिस्ट्रेशन होना जरूरी था। इसके बाद यूनिवर्सिटी ने 11 अक्टूबर, 2011 को एक संशोधित विज्ञापन जारी किया। इसमें कहा कि 31 मार्च, 2012 तक इंटर्नशिप पूरी करने वाले अभ्यर्थी भी आवेदन करने व परीक्षा में शामिल होने के पात्र होंगे

याचिका में संशोधित विज्ञापन को चुनौती देते हुए कहा कि नियमानुसार परीक्षा की तारीख तक अभ्यर्थी के पास निर्घारित योग्यता होनी चाहिए। ऎसे में वे अभ्यर्थी जिनकी इंटर्नशिप परीक्षा की तारीख 20 नवंबर, 2011 तक पूरी नहीं हुई है, वे चयन प्रक्रिया में भाग लेने के अधिकारी नहीं हैं। ऎसे सभी अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर किया जाए।
Read more...