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Saturday, November 15, 2014

सूरज, वाह वाह ! ऊर्जा का क्या अद्भुत स्रोत है

सूरज, वाह वाह ! ऊर्जा का क्या अद्भुत स्रोत  है

वैकल्पिक ऊर्जा का संसार अद्भुत और निराला है उसमें सौर ऊर्जा नंबर वन पर है ।
भविष्य में दूसरे तारों से भी ऊर्जा लेने  का प्रबंध होने वाला है , वैज्ञानिकों की योजना है की मंगल ग्रह पर सोलर ऊर्जा आधारित रोबोट्स का इस्तेमाल किया जाये , और
उनके ही द्वारा इंसान के रहने लायक प्रबंध किया जाये ।
उसके बाद तमाम मंगल ग्रह के खनिज पदार्थों और दूसरे ग्रहों के खनिज पदार्थों को उपयोग में लाना शुरू किया जाये

समस्त संसार ऊर्जा से चल रहा है , और धीरे धीरे इतना विकास किया जाये की तारों की ऊर्जा का उपभोग कर सकें

तब तक देखते हैं की सौर ऊर्जा का क्या हाल है


सूरज, वाह वाह ! ऊर्जा का क्या अद्भुत स्रोत  है-  जी हाँ यह अभूतपूर्व   किसी और के नहीं बल्कि अब से तकरीबन अस्सी वर्षों पूर्व ही अमरीकी महान अन्वेषक व अद्भुत उद्यमी थॉमस अल्वा एडिसन के थे।सन् 1930 में ही अपने अभिन्न मित्रों व सहयोगियों हेनरी फोर्ड व हार्वे फायरस्टोन से उन्होने यह बात कही थी कि ' मैं तो अपना सारा धन सूरज व सौर-ऊर्जा पर लगा सकता हूँ।
ऊर्जा का क्या अद्भुत स्रोत  है ?


हालाँकि एडिसन  ने जब यह भविष्य के ऊर्जा स्रोत  के रूप में सौर-उर्जा की प्रधानता के प्रति घोषणा की थी ,उसके एक दशक पूर्व ही आइंस्टीन ने फोटोवोल्टेयिक सेल की खोज कर दी थी जिससे की प्रकाशऊर्जा को विद्युतऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है, परंतु उस समय सौर ऊर्जा के किसी व्यावसायिक उपयोग या इसका बिजली के उत्पादन हेतु हाइड्रोकार्बन स्रोतों के विकल्प के रूप में सोचना दूर की कोडी थी



जहाँ दो दशकों पूर्व हमारी उर्जा-आवश्यकताओं की आपूर्ति  में सौरऊर्जा का योगदान नगण्य,1.5 प्रतिशत से भी कम था,वहीं आज इसका योगदान बढ़कर पाँच प्रतिशत हो गया है।ऊर्जा विश्लेषकों का मानना है कि यदि सौरऊर्जा की वर्तमान उल्लेखनीय वृद्धि जारी रही तो वर्ष 2025 तक विश्व की सभी ऊर्जा आवश्यकताओं के लगभग चौथाई हिस्से की आपूर्ति सौर उर्जा से ही होगी।

सोलर पैनल
 हमारे देश में भी सौर ऊर्जा के अधिकतम वैकल्पिक उपयोग हेतु जवाहरलाल नेहरू सौर अभियान शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत 20000 मेगावाट ग्रिडपावर बिजली,2000 मेगावाट ग्रिड के इतर घरेलू उपयोग की बिजली,गरम पानी हेतु 20 मिलियन वर्गमी.सोलरताप पैनल व ग्रामीण क्षेत्रों में प्रकाश हेतु 20 मिलियन वर्गमी. सोलर पैनल लगाने की योजना है।






सोलर हीटर
भविष्य में हमें अपनी अधिकांश दैनिक उर्जा आवश्यकता- जैसे घर में रोशनी,गरम पानी,वातानुकूलन,खाने पकाने हेतु ईंधन,घर व कार्यालय में उपयोग आने वाले इलेक्टॉनिक उपकरणों हेतु बिजली,व्यक्तिगत वाहन इत्यादि, की आपूर्ति हेतु सौरउर्जा पर ही निर्भर रहना होगा। शहरों में बिजली की भारी समस्या को देखते हुये लोग बिजली के गीजर के बजाय सोलर वाटर का अधिकांशत: उपयोग पहले ही करना शुरू कर दिये हैं।इसी तरह बड़े सामूहिक भोजनगृहों,बड़े-बड़े होटलों रेस्तराँ में भी भोजन पकाने ,पानी गरम करने ,भवन प्रकाश व वातानुकूलन में सौरऊर्जा का भारी स्तर पर उपयोग पहले ही हो रहा है।


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आपको यह जानकर सुखद आश्यर्य होगा कि बंगलौर जैसे शहरों की ट्रैफिक लाइटिंग प्रणाली शत्-प्रतिशत् सौर ऊर्जा पर ही आधारित है।इसी तरह हाईवेज व स्ट्रीट लाइटिंग में सौर ऊर्जा का वृहत् स्तर पर शुरू हो गया है।एक रिपोर्ट के अनुसार हमारे शहर की स़ड़के शीघ्र ही सोलर स्ट्रीट लाइट से ही जगमग दिखाई देंगे।











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सोलर पावर्ड सैटेलाइट

जैसा हमें पता ही है कि हमारे अंतरिक्ष यान व संचार-उपग्रह पूर्णरूपेण और आजीवन सौर ऊर्जा से ही संचालित होते हैं।

एक तरफ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बढ़ती ऊर्जा दक्षता और दूसरी ओर सौर उर्जा उपकरणों में निरंतर तेजी से हो रहे विकाश व उन्नति के कारण अब यह संभव दिखता है कि हमारी दैनंदिन ऊर्जा की अधिकांश आवश्यकतायें सूरज के प्रकाश से ही पूरी हो सकती हैं और हमारे मन से यही उद्गार निकलेगा कि- सूरज, वाह ! ऊर्जा का क्या अद्भुत श्रोत है ।


Information Sabhaar : http://ddmishra.blogspot.in/
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Solar Energy : आज हम बताएँगे - सोर ऊर्जा का एक नया उपयोग

Solar Energy : आज हम बताएँगे - सोर ऊर्जा का एक नया उपयोग
India Mein Yeh Technology Mumbai / NCR kee Building Mein Kafee Use Ho rahee Hai




आजकल आप बहुत सी बड़ी बड़ी बिल्डिंगों में देखेंगे तो पाएंगे की वहां एक विशेष किस्म का सोलर हीटर मौजूद है ,
इसमें बहुत सारी पाइप होती हैं और यह टंकी से जुडी होती हैं , पाइप के अंदर कॉपर रोड होती हैं , जो की टंकी के अंदर तक जाती हैं ,
टंकी से पाइप जुड़े रहते हैं , और जब सूरज की किरणे पाइप पर पड़ती हैं और ये पाइप के अंदर के पानी को गरम करने लगती हैं , और यह गर्मी कॉपर रोड शोषित कर टंकी के अंदर मौजूद ठन्डे पानी तक पहुंचा देती हैं , और इस प्रकार पानी अपने आप गरम होने लगता है , साथ ही एक और तरह से पानी गरम होता है , हम जानते हैं की पानी गरम होने पर ऊपर जाता है , और ठंडा पानी स्वत नीचे आता है ।
इस प्रकार टंकी में रखा पानी स्वत गरम हो जाता है , और विशेष तो पर बनी टंकी में यह पानी 1 -2 दिन तक गरम बना रहता है ।
गर्मियों में अगर गरम पानी की जरूरत न हो तो पाइप में पानी जाने को बंद कर दें

बिल्डिंग्स के लिए यह तरीका बहुत ही अच्छा है , अब घरों में भी उपयोग होने लगा है 

सोर ऊर्जा के बहुत सारे उपयोग  हैं, भविष्य में घरों की छतों पर मौजूद पवन ऊर्जा से भी बैटरी चार्ज के विकल्प मौजूद  हैं 

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Solar water heating (SWH) or solar hot water (SHW) systems comprise several innovations and many mature renewable energy technologies that have been well established for many years. SWH has been widely used in Australia, Austria, China, Cyprus, Greece, India, Israel, Japan, Jordan, Spain and Turkey.

In a "close-coupled" SWH system the storage tank is horizontally mounted immediately above the solar collectors on the roof. No pumping is required as the hot water naturally rises into the tank through thermosiphon flow. In a "pump-circulated" system the storage tank is ground- or floor-mounted and is below the level of the collectors; a circulating pump moves water or heat transfer fluid between the tank and the collectors.

SWH systems are designed to deliver hot water for most of the year. However, in winter there sometimes may not be sufficient solar heat gain to deliver sufficient hot water. In this case a gas or electric booster is used to heat the water.


Copper is an important component in solar thermal heating and cooling systems because of its high heat conductivity, resistance to atmospheric and water corrosion, sealing and joining by soldering, and mechanical strength. Copper is used both in receivers and primary circuits (pipes and heat exchangers for water tanks)

http://en.wikipedia.org/wiki/Solar_water_heating
http://en.wikipedia.org/wiki/Hot_water_storage_tank
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Energy Saving Kee badtee Pehal

Energy Saving Kee badtee Pehal


बिजली की खपत में कमी लाने के लिए नियामक आयोग की पहल
दस रुपये में मिलेंगे एलईडी बल्ब
 
लखनऊ। प्रदेश में बिजली की खपत में कमी लाने के लिए करीब 400 रुपये की कीमत वाले लाइट इमिटिंग डायोड (एलईडी) बल्ब उपभोक्ताओं को केवल 10 रुपये में मिलेंगे। केंद्र सरकार की संस्था ब्यूरो ऑफ एनर्जी इफिशिएंसी (बीईई) तथा एनर्जी इफिशिएंसी सर्विस लि. (ईईएसएल) यूपी में उपभोक्ताओं को 10 रुपये में एलईडी बल्ब मुहैया कराने को तैयार हो गए हैं। ये एलईडी बल्ब की कीमत अगले पांच साल में बिजली कंपनियों से वसूलेंगे। एलईडी के उपयोग से बचने वाली बिजली से कं पनियां इस रकम की भरपाई करेंगी। इसके अलावा गोमतीनगर स्थित नियामक आयोग के मुख्यालय में भी बिजली की खपत कम करने के उपाय किए जाएंगे। जल्द ही मंडी परिषद और ईईएसएस के बीच एग्रीमेंट किया जाएगा।
प्रदेश में बिजली की जबर्दस्त किल्लत को देखते हुए नियामक आयोग ने बिजली की खपत में कमी लाने की पहल की है। आयोग के चेयरमैन देश दीपक वर्मा की अध्यक्षता में ‘डिमांड साइड मैनेजमेंट’ पर शुक्रवार को हुई बैठक में बिजली बचाने के उपायों पर चर्चा की गई। वर्मा ने कहा कि यूपी सबसे बड़ा प्रदेश है और इस नाते यहां लाइन हानियां भी बहुत ज्यादा हैं। ऐसे में सूबे में बिजली की बचत के लिए केंद्र को भरपूर मदद देनी चाहिए।

News Sabhar : Amar Ujala News paper

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News - Hindustan Paper
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Wednesday, June 25, 2014

इथेनॉल पेट्रोल का उम्दा विकल्प और पर्यावरण के लिए बेहतर

इथेनॉल पेट्रोल का उम्दा विकल्प और पर्यावरण के लिए बेहतर
Ethanol a Good Petrol Alternative
इथेनॉल गन्ने के अतिरिक्त उत्पाद शीरा से बनता है और इसको बनाने की लागत महज 2 रूपए प्रति लीटर तक आती है ,शीरा 30 पैसे प्रति लीटर पड़ता है और चार लीटर शीरे से 1 लीटर इथेनॉल बनता है ,

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर मोटर वाहनों में ईंधन की तरह उपयोग में लाया जा सकता है. इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने से किया जाता है जिसकी हमारे देश में प्रचुरता है. भारत सरकार ने 2002 में गजट अधिसूचना जारी करके देश के नौ राज्यों और चार केन्द्र शासित क्षेत्रों में एक जनवरी 2003 से पांच प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल बेचने की मंजूरी दे दी थी. इसे धीरे-धीरे बढ़ाते हुए पूरे देश में दस प्रतिशत के स्तर तक ले जाना था परन्तु अनेक नीतिगत और आर्थिक समस्याओं के कारण यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है


इथेनॉल को गन्ने के अलावा शर्करा वाली अन्य फसलों से भी तैयार किया जा सकता है जिससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ होगा. गौरतलब है कि इथेनॉल को ऊर्जा का अक्षय स्रेत माना जाता है, क्योंकि गन्ने की फसल अनंत और अपार है

ब्राजील में लगभग 40 प्रतिशत कारें सौ प्रतिशत इथेनॉल पर दौड़ रही हैं और बाकी मोटर वाहन 24 प्रतिशत इथेनॉल मिला पेट्रोल इस्तेमाल करते हैं. हमारे देश की तरह ब्राजील में भी इथेनॉल बनाने के लिए मुख्य रूप से गन्ने का उपयोग किया जाता है.
स्वीडन ने इथेनॉल इस्तेमाल करने की शुरुआत 1980 में की थी और आज इसने इसी बलबूते पर कच्चे तेल के आयात में लगभग 25 प्रतिशत की कटौती कर ली है. कनाडा के कई राज्यों में इथेनॉल के इस्तेमाल पर सब्सिडी भी प्रदान की जाती है. जाहिर है, इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता है जिसकी फिलहाल हमारे देश में कमी दिखाई दे रही है
इथेनॉल जैसा ही एक अन्य कारगर विकल्प है बायोडीजल. दरअसल कुछ पौधों के बीजों में ऐसा तेल पाया जाता है जिसे भोजन के उपयोग में तो नहीं लाया जा सकता परन्तु इसे मोटर वाहनों में ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.
सामूहिक रूप से ऐसे तेलों को बायोडीजल का नाम दिया गया है क्योंकि इसे पेट्रो-डीजल में आसानी से मिलाया जा सकता है या डीजल इंजन में अकेले भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यूं तो हमारे देश के अनेक पौधों में बायोडीजल की संभावना मौजूद है परन्तु इनमें रतनजोत या जोजोबा, करंज, नागचंपा और रबर प्रमुख हैं
 



ब्राजील जैसे देशों में 40  प्रतिशत वाहन शुद्ध इथेनॉल से चलते है और बाकि 60 % वाहनो में भी इथेनॉल का उपयोग होता है ,
अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया में भी पर्यावरण की दृष्टि से 10 % इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाया जाता है , इस से पेट्रोल की खपत भी कम होती है
और पर्यावरण को भी कम नुक्सान पहुँचता है ।
अमेरिका में इथेनॉल को मक्के से बनाया जाता है , और ब्राजील से खरीदा जाता है ,
हमारे देश भारत में और ब्राजील में इथेनॉल को गन्ने के अतिरिक्त उत्पाद / अवशेष शीरा /खोई से बनाया जाता है



ब्राजील , स्वीडन जैसे देशों ने पेट्रोल , डीज़ल से निजात पाने और आत्म निर्भर बनने के लिए अस्सी के दशक से ही वैकल्पिक विकल्पों पर रिसर्च करनी शुरू कर दी थी ।
और आज कल ब्राजील ने पेट्रोल डीसल आयत को काफी कम कर दिया है और इथेनॉल आदि उत्पादों से ईंधन उत्पादन में  आत्म निर्भर होने के कगार पर हो चला है ।
हमारा देश के प्रतिनिधि तकनीकी हस्तांतरण / जानकारी के लिए समय समय  ब्राजील जाते  रहे है पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाइक के काल में भी प्रतिनिधी मंडल ब्राजील



इथेनॉल पर रिसर्च द्वितीय विश्व युद्ध  के समय ही शुरू हो गयी थी जब बहुत से देशों को तेल न मिल पाने जैसे हालातों से सामना करना पड़ा था ,
अब हमारा देश ब्राजील आदि देशों के साथ मिलकर एथनॉल रिसर्च पर जोर दे रहा है ,
इथनॉल के साथ एक मुश्किल है की यह कोरिसिव नेचर का होता है , और इंजन की घिसाई व रगड़ पिट्टी ज्यादा रहती है , जिस से इंजन की आयु काम हो जाती है इसलिए इसे पेट्रोल में 5 -10 प्रतिशत मिलाने की शुरुआती योजना बनी ,
और इंजन की नयी तकनीकी / रिसर्च की जरूरत पड़ने लगी जिस से एथेनॉल को अधिक से अधिक उपयोग में लाया जा सके ।



 




रिलायंस कम्पनी ने ब्राज़ील में जमीन खरीदी है और वह इसको इथेनॉल उत्पादन में प्रयोग में लाने जा रही है


ब्राजील में इथेनॉल का उत्पादन करेगी रिलायंस
ब्रासीलिया : रिलायंस इंडस्ट्रीज ब्राजील में बहुत बड़े पैमाने पर इथेनॉल प्रॉडक्शन की तैयारी कर रही है। कंपनी इस इथेनॉल को दुनिया के बाजारों में बेचेगी। ब्राजील में होने वाले कंपनी के विस्तार का काम आईपीसीएल के पूर्व अधिकारी आर. सी. शर्मा देख रहे हैं। उनका कहना है कि अभी यह शुरुआती दौर में है, Source : Click here )

 



अगर पेट्रोल में 5 % इथेनॉल मिलाया जाता है तो इस ईंधन को E5 कहते हैं , अगर पेट्रोल में 10 % इथेनॉल मिलाया जाता है तो इस ईंधन को E10 कहते हैं ,
और अगर बगैर पेट्रोल के सिर्फ इथेनॉल का उपयोग किया जाता है तो इसे E100 कहते है

ब्राजील इस रिसर्च में काफी आगे है और इसके 40 % वाहन शुद्ध इथेनॉल  (E100 ) पर चलने लगे हैं

हमारे देश में इथेनॉल को इस समय 27 रूपए प्रति लीटर पर सरकार किसानों / विक्रेताओं से खरीदती है , और इसका समर्थन मूल्य 42 रूपए प्रति लीटर
तक होने जा रहा है ,
इथेनॉल उत्पादन में महाराष्ट्र काफी आगे है , और इसमें नितिन गडकरी जी की कंपनी पूर्ती ग्रुप की महत्वपूर्ण भूमिका है जो की भारी मात्र में
इथेनॉल उत्पादन करती है ,

हाल ही में गडकरी जी ने यू पी में कहा की महाराष्ट्र  में गन्ना उत्पादन प्रति हेक्टेयर यू पी से चार गुना  ज्यादा है और हम यू पी में इसकी तकनीक बढ़ाने पर जोर देंगे  (Source : click here
Gadkari said -  गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है,


गडकरी ने नागपुर के आसपास के क्षेत्रों में बंद पड़ी चीनी मिलें खरीदी हैं। ये चीनी मीलें पूर्ति समूह ने खरीदी हैं, जिसके सर्वेसर्वा गडकरी हैं

गडकरी कहते हैं कि चीनी में नुकसान है, पर गन्ने की खोई से बिजली बनाने में फायदा भी है। विदर्भ में बिजली संकट का रास्ता भी हम इसी से ढूंढ रहे हैं। चीनी का कारोबार उत्तर प्रदेश और किसानों के विकास की तस्वीर बदल सकता है।

उन्होंने कहा कि गन्ने के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़ेपन और गरीबी को दूर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादकता औसत केवल 25 टन प्रति एकड़ है, जबकि महाराष्ट्र कई क्षेत्रों में यह औसत सौ से सवा सौ टन प्रति एकड़ हैं। इसे चौगुना बढ़ाया जा सकता है। जिससे प्रदेश के किसानों की आय प्रतिवर्ष आठ हजार से दस हजार करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है।

गन्ना मिलों में तैयार होने वाली मोलासेस से इथेनॉल उत्पादन की नीति बनाई जाएगी। इथेनॉल पेट्रोल में मिलाया जाएगा, जैसा ब्राजील में हो रहा है। गन्ने को लेकर गडकरी की भाजपा ने उत्तरप्रदेश में करीब एक दर्जन सुझाव किसानों के सामने रखे हैं।  )



देश में और भी वैकल्पिक / प्राकृतिक ईंधन मौजूद है , जैसे की रतन जोत / जोजोबा पौधा जो की डीज़ल का बेहतरीन विकल्प है और बंजर स्थानो पर कम
पानी में भरपूर मात्र में आसानी से लग जाता है ।

हमारे देश में हिन्द महासागर के तटीय इलाकों में तेल निकलने की अपार संभावनाएं बताई गयी हैं , और अन्य ऊर्जा स्रोत - थोरियम ( थोरियम  के भण्डार में विश्व में भारत  प्रथम स्थान पर है )


हमें भरोसा है की हमारा देश भारत अगले दस सालों में वैकल्पिक ईंधन ( एथेनॉल , बायो डीज़ल - रतन जोत , सोर ऊर्जा , पवन चक्की , जल ऊर्जा आदि  )
 द्वारा आत्म निर्भरता प्राप्त कर लेगा और पेट्रोल डीज़ल  आयात कम कर देगा



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